जानें इरेक्टाइल डिस्फंक्शन(स्तंभन दोष) के कारण, ये हैं बचाव के उपाय
सेहतराग टीम
सेक्स संबंध बनाने के दौरान शिश्न में तनाव लाने में अक्षमता या तनाव को बरकरार न रख पाना इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहा जाता है। डायबिटीज के करीब 50 फीसदी मरीज इस समस्या से ग्रस्त पाए जाते हैं और बीमारी बढ़ने के साथ ये समस्या भी बढ़ती जाती है। इसके साथ ही इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हृदय की किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
कारण
- डायबिटीज संबंधित नर्व की समस्या अथवा नाड़ी से संबंधित कोई परेशानी
- हार्मोन या थायराइड से जुड़ी कोई समस्या
- उच्च रक्तचाप में ली जाने वाली कुछ दवाएं (बीटा ब्लॉकर्स जैसे कि एटेनोलोल, मेटोप्रोलोल, बाइसोप्रोलोल आदि), अवसाद दूर करने वाली अथवा शांति प्रदान करने वाली (सिडेटिव) दवाएं
- आयु के कारण
- धूम्रपान
- मनोवैज्ञानिक कारक, सही से परफॉर्म नहीं कर पाने का डर, अवसाद, अंतरंग संबंधों में कोई दिक्कत भी कुछ लोगों में इस बीमारी का कारण हो सकते हैं।
रोकथाम और प्रबंधन
- ब्लड शुगर पर प्रभावी नियंत्रण नर्व को क्षतिग्रस्त होने से रोक सकता है और नाड़ी संबंधी परेशानी से बचा सकता है;
- लंबे समय तक चलने वाले इलाज में हार्मोन की समस्याओं, थाइराइड की परेशानी आदि का इलाज भी शामिल किया जाता है;
- यौनांगों तक रक्त संचार को बढ़ाने वाली कुछ दवाएं जैसे कि सिल्डेनाफिल और टेडेलाफिल आदि इस परेशानी में मददगार हो सकती हैं। हालांकि इनका इस्तेमाल किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें;
- धू्म्रपान छोड़ने, शराब के अतिशय इस्तेमाल को बंद करने और नियमित रूप से एयरोबिक व्यायाम करने से भी मदद मिलती है;
- मनोचिकित्सक की सलाह से भी मदद मिल सकती है।
जीवनशैली के पैमाने जैसे कि स्वस्थ संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम, धूम्रपान और शराब का सेवन बंद करना तथा तनाव घटाने जैसे उपायों से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या को कम किया जा सकता है। सिल्डेनाफिल और टेडेलाफिल इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के प्रबंधन में असरकारक दवाएं हैं मगर इनमें सही डॉक्टरी निगरानी की जरूरत होती है। इस बीमारी में आर्टरी के ब्लॉकेज को खोलने के लिए ऑपरेशन की प्रक्रिया की जरूरत दुर्लभ मामलों में ही पड़ती है।
(ये आलेख डॉक्टर अनूप मिश्र की किताब डायबिटीज विद डिलाइट से साभार लिया गया है।)
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